उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि युवा पीढ़ी को सतत् विकास की जीवन शैली और जैव विविधता के महत्व के बारे में अवगत कराया जाना चाहिए।
किसी प्राकृतिक प्रदेश में पायी जाने वाली जंगली तथा पालतू जीव-जंतुओं एवं पादपों की प्रजातियों की बहुलता को जैव विविधता कहते हैं। जैव विविधता हरेक जीवों के जीवन के लिए आवश्यक है। इसी क्षेत्र में मानव और दूसरे जीवधारी एक पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करते हैं। जैव
विविधता अन्य जीवों के लिए ही नहीं बल्कि मानव के लिए भी महत्वपूर्ण है।
जैव-विविधता पारितंत्र को स्थिरता प्रदान कर पारिस्थितिक संतुलन को बरकरार रखती है। पौधे तथा जन्तु एक दूसरे से खाद्य शृंखला तथा खाद्य जाल द्वारा जुड़े होते हैं। एक प्रजाति की विलुप्ति दूसरे के जीवन को प्रभावित करती है। इस प्रकार पारितंत्र कमजोर हो जाता है। तथा जैविक रूप से तथासंपन्न वन पारितंत्र, वन्य-जीवों तथा आदिवासियों का घर होता है। आदिवासियों की संपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति वनों द्वारा होती है। वनों के क्षय से न सिर्फ आदिवासी संस्कृति प्रभावित होगी अपितु वन्य-जीवन भी प्रभावित होगा।
श्री नायडू ने शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर जारी एक संदेश में कहा कि पूरी पृथ्वी एक दूसरे से जुड़ी हुई है जिसके हम भी एक हिस्सा हैं। इस वर्ष का नारा – हम भी समाधान का भाग हैं, भी इसी के अनुरूप है।श्री नायडू ने कहा, अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस
के अवसर पर हमें युवा पीढ़ी को सतत् विकास की जीवन शैली और जैव विविधता के महत्व के संबंध में अवगत कराने का संकल्प लेना चाहिए।